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    संगठन

    कारागार विभाग का मुख्यालय जिला कारागार देहरादून, परिसर, सुद्धोवाला, (चकराता रोड़) देहरादून में स्थित है, तथा इसके नियंत्रणाधीन निम्न संस्थाएं हैं:-

    उत्तराखण्ड की कारागारों का विवरण
    क्रमांक कारागार का नाम कारागार की क्षमता कुल निरूद्ध बन्दी
    1 सम्पूर्णानन्द शिविर कारागार, सितारगंज 300  79
    2 केन्द्रीय कारागार, सितारगंज 552 854
    3 जिला कारागार, देहरादून 580 1114
    4 जिला कारागार, हरिद्वार 888 1119
    5 जिला कारागार, नैनीताल 71 154
    6 जिला कारागार, अल्मोडा 102 272
    7  जिला कारागार, टिहरी 150 182
    8 जिला कारागार, पौडी 150 155
    9 जिला कारागार, चमोली 169 114
    10 उप कारागार, हल्द्वानी 635 1164
    11 उप कारागार, रूडकी 244 310

    उक्त में से सम्पूर्णानन्द शिविर, सितारगंज के रूप में खुली कारागार की अवधारणा अविभाजित उ0प्र0 के समय से विकसित की गयी जिसकी स्थापना 16 फरवरी, 1960 को की गयी। शिविर स्थापना का मुख्य उद्देश्य बन्दियों को न्यूनतम् सुरक्षा में अधिकतम् अधिक खुले वातावरण में रहने का अवसर प्रदान करते हुए उनके अन्दर व्यवसायिक निपुणता, सत्यनिष्ठा, अनुशासन, आत्मसम्मान, आत्मनिर्भरता एवं कर्तव्यपरायणता की भावना को विकसित करना है। इस कारागार में उत्कृष्ट पृष्ठभूमि एवं चरित्र के कार्य करने में सक्षम आजीवन कारावास से दण्डित बन्दियों के चयन के उपरान्त निरूद्ध किया जाता है, जिन्हें शिविरवासी कहा जाता है। शिविर में मुख्यतः कृषि कार्य कराया जाता है, जहां शिविरवासी कृषि की आधुनिकतम तकनीकों एवं मशीनों की सहायता से कृषि कार्य करते हैं। शिविर में कार्यरत बन्दियों को अपने परिवार से मिलकर अपने पारिवारिक बन्धनों को पुर्नस्थापित करने की दृष्टि से, रोगग्रस्त निकट सम्बन्धियों को देखने, अपने भावी सेवायोजकों से सम्पर्क स्थापित करने एवं अपनी घरेलू समस्याओं को हल करने हेतु 15 दिन का गृह अवकाश उनकी सजा को अस्थायी रूप से स्थगित करके दिया जाता है। उक्त के अतिरिक्त शिविर में काम करने वाले बन्दी को प्रत्येक एक दिन पर एक दिन की दर से परिहार (सजा में छूट) भी प्रदान की जाती है।

    विभागीय संगठन –

    उत्तराखण्ड कारागार विभाग में द्विस्तरीय संगठन विद्यमान है जिसमें कारागार मुख्यालय तथा अधीनस्थ कारागारों के स्तर पर प्रशासनिक क्रियाकलापों का निर्वहन किया जाता है, जिसका संक्षिप्त विवरण निम्नवत है:-

    मुख्यालय संगठन –

    कारागार विभाग का विभागाध्यक्ष महानिरीक्षक कारागार है। विभागाध्यक्ष के सहयोग हेतु मुख्यालय में अपर महानिरीक्षक कारागार, उप महानिरीक्षक कारागार (मुख्यालय), वित्त अधिकारी, सहायक लेखाधिकारी, महिला कल्याण अधिकारी के साथ ही शासकीय कार्य के सम्पादन हेतु मिनिस्टीरियल स्टाफ है।

    कारागार संगठन –

    कारागारों के कार्यालयाध्यक्ष वरिष्ठ अधीक्षक/अधीक्षक होते हैं जिनके सहयोग हेतु कारापाल, उप कारापाल, सुरक्षा कर्मियों, आशुलिपिक, लिपिक, सहायक लेखाकार, शिक्षाध्यापक, तकनीकी स्टाफ आदि के पद भी सृजित हैं। बंदियों की चिकित्सा व्यवस्था हेतु कारागारों पर चिकित्सक (वरिष्ठ परामर्शदाता, परामर्शदाता), फार्मासिस्ट एवं अन्य पैरामेडिकल स्टाफ के पद सृजित हैं। प्रदेश की समस्त कारागारों के उक्त कार्यो के सम्पादन हेतु जिला कारागार, देहरादून, हरिद्वार, केन्द्रीय कारागार/शिविर, सितारगंज में वरिष्ठ अधीक्षक एवं जिला कारागार, टिहरी, पौड़ी, नैनीताल, अल्मोड़ा, चमोली, उप कारागार, हल्द्वानी, रूडकी में अधीक्षक के पद सृजित हैं।

    अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अधिकार एवं कर्तव्य-

    कारागार अधिकारियों एवं कर्मचारियों के शक्ति एवं कर्तव्य कारागार अधिनियम तथा उत्तराखण्ड  कारागार नियमावली, 2023 में प्राविधानित किये गये हैं। उत्तराखण्ड  कारागार नियमावली, 2023 में सभी कारागार अधिकारियों तथा कर्मचारियों के कर्तव्यों को वर्णित किया गया है।

    उत्तराखण्ड  कारागार नियमावली, 2023 PDF, 6mb

    विभागीय कार्यपद्यति-

    मुख्यालय स्तर पर निर्णय लिये जाने योग्य कोई प्रकरण उपस्थित होने पर पहले सम्बंधित पटल सहायक द्वारा अद्यतन नियमों के परिपे्रक्ष्य में उसका परीक्षण करके अपनी संस्तुति/प्रस्ताव पत्रावली पर प्रस्तुत किया जाता है। तत्पश्चात् पर्यवेक्षकीय कर्मचारी (प्रशासनिक अधिकारी) द्वारा भी परीक्षण कर उस पर अपना मन्तव्य अंकित किया जाता है। तत्पश्चात् निर्णय लेने की श्रृंखला में सम्मिलित अन्य मध्यवर्ती अधिकारियों द्वारा भी परीक्षण कर अपना मन्तव्य दिया जाता है और अन्ततोगत्वा निर्णय लेने वाले स्तर (कार्यालध्यक्ष/विभागाध्यक्ष) द्वारा निर्णय पत्रावली में लिया जाता है। तत्पश्चात् यथा आवश्यक तत्सम्बन्धी आदेश निर्गत किया जाता है।कारागारों के स्तर पर विभिन्न शासकीय कार्यो के सम्पादन हेतु अधीनस्थ कर्मियों द्वारा प्रकरण आदेश हेतु कार्यालयाध्यक्ष वरिष्ठ अधीक्षक/अधीक्षकों के समक्ष प्रस्तुत किये जाते हैं। मुख्यालय के स्तर से अपेक्षित आदेश प्राप्त करने हेतु प्रकरण मुख्यालय को प्रेषित किये जाते हैं।

    विभागीय जनशक्ति-

    कारागार प्रशासन को शासन की नीतियों के अनुसार संचालित किये जाने हेतु विभाग में कुल 12 कारागार संस्थायें संचालित हैं। इन संस्थाओं में 01 कारागार मुख्यालय, 01 केन्द्रीय कारागार, 01 शिविर कारागार एवं 07 जिला कारागार, 02 उप कारागार सम्मिलित हैं। शासकीय क्रिया-कलापों को संचालित करने हेतु विभिन्न सेवा संवर्गो के कुल 1060 पद सृजित हैं। उक्त कारागारों के लिये निर्धारित कार्यो को सुचारू रूप से संचालित करने हेतु स्वीकृत जनशक्ति की कार्यक्षमता, दक्षता का अधिकतम उपयोग करने का प्रयास किया जाता है। प्रत्येक स्तर पर संगत नियमों एवं जेल मैनुअल के प्राविधानों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित कराते हुये अनुशासित एवं पारदर्शी प्रशासन स्थापित करने के प्रयास किये जाते हैं। अपने द्वारा या अपने नियंत्रणाधीन धारित या अपने कर्मचारियों द्वारा अपने कृत्यों के निर्वहन के लिये प्रयोग किये गये नियम, विनिमय, अनुदेश, निर्देशिका और अभिलेख कारागार विभाग के संचालन हेतु सभी क्रिया-कलापों तथा कार्यो को करने के निर्देश जेल मैनुअल में अंकित हैं। विभाग में महानिरीक्षक, उप महानिरीक्षक, वरिष्ठ अधीक्षक, अधीक्षक कारागार, कारापाल, उप कारापाल तथा बंदीरक्षक संवर्ग के साथ कारागारों के अन्य विभिन्न संवर्गो के उत्तरदायित्व जेल मैनुअल में निर्धारित हैं। अतः जन-सामान्य द्वारा जेल मैनुअल में कारागार विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों द्वारा निर्वहन के लिये निर्धारित कृत्यों सम्बन्धी नियम आदि का संदर्भ प्राप्त किया जा सकता है। कारागार की कार्यपद्वति विशिष्ट प्रकृति की है। कारागार में बंदी के प्रवेश से लेकर उसकी मुक्ति तक विभिन्न कार्य होते हैं। कारावास अवधि में बंदियों के सुरक्षित रख-रखाव के साथ-साथ उनके सुधार के लिये विभिन्न प्रशिक्षण एवं सुधार के कार्यक्रम चलाये जाते हैं। प्रत्येक कार्य के लिये अलग-अलग रजिस्टर बने हुये हैं तथा इनमें सभी क्रियाकलापों की प्रविष्टियां अंकित होती हैं। कारागारों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी निरूद्व रहे हैं तथा समय पर अन्य प्रतिष्ठित एवं अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति भी निरूद्व रहे हैं। इन सभी से संबंधित महत्वपूर्ण अभिलेख कारागार में संरक्षित रखे जाते हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण विभिन्न प्रकार की रिपोर्ट भी संरक्षित रखे जाते हैं।