Close

    पैरोल/फरलो

    बंदियों के लिए पैरोल और फरलो सुधार सेवाओं के प्रगतिशील उपाय हैं। पैरोल पर किसी बंदी की रिहाई न केवल उसे कैद की बुराइयों से बचाती है, बल्कि उसे अपने परिवार और समुदाय के साथ सामाजिक संबंध बनाए रखने में भी सक्षम बनाती है। यह उसे आत्मविश्वास की भावना को बनाए रखने और विकसित करने में भी मदद करता है। परिवार और समुदाय के साथ निरंतर संपर्क उनके अंदर जीवन की आशा बनाए रखता है। फरलो पर बंदी की रिहाई उसे अच्छे आचरण को बनाए रखने और जेल में अनुशासित रहने के लिए प्रेरित करती है। बंदी को पैरोल और फरलो पर रिहा करने से संबंधित प्रावधानों को उदार बनाया जाना चाहिए ताकि किसी बंदी को अपने परिवार और समाज के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाए रखने में मदद मिल सके और कैद की अवधि के दौरान अच्छा आचरण हो सके। पैरोल और फरलो पर रिहाई का विशेषाधिकार निश्चित रूप से पात्रता और औचित्य के बेहतर परिभाषित मानदंडों के आधार पर चुनिंदा बंदियों को ही दिया जाना चाहिए।

    किसी बंदी को पैरोल और फरलो पर रिहा करने के पीछे के उद्देश्य हैं:

    • बंदी को अपने पारिवारिक जीवन के साथ निरंतरता बनाए रखने और पारिवारिक और सामाजिक मामलों से निपटने में सक्षम बनाना,
    •  उसे निरंतर लंबे जेल जीवन के बुरे प्रभावों से बचाना,
    • उसका आत्मविश्वास बनाए रखना और उसे बढ़ाना,
    • बंदी के जीवन में रचनात्मक आशा और क्रियोन्मुख रुचि विकसित करने में सहायता करना,
    • बाहरी दुनिया के घटनाक्रम के संपर्क में रहने में उसकी मदद करना,
    • उसे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद करना,
    • उसे कैद के तनाव और बुरे प्रभावों से उबरने में सक्षम बनाना, और
    • उसे जेल में अच्छा व्यवहार और अनुशासन बनाए रखने के लिए प्रेरित करना।

    पैरोल का अर्थ है किसी बंदी को छोटी अवधि के लिए अस्थायी तौर पर रिहा करना ताकि वह अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों और जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए अपने परिवार और समुदाय के साथ सामाजिक संबंध बनाए रख सके। यह किसी बंदी के लिए बाहरी दुनिया के साथ नियमित संपर्क बनाए रखने का एक अवसर है ताकि वह समाज में नवीनतम घटनाक्रम के साथ खुद को अपडेट रख सके। हालांकि, यह स्पष्ट किया जाता है कि जहां तक उसकी सजा का संबंध है, पैरोल पर रहते हुए जेल के बाहर किसी बंदी द्वारा बिताई गई अवधि किसी भी तरह से कोई रियायत नहीं है। बंदी को पैरोल पर जेल के बाहर बिताए गए समय के एवज में जेल में अतिरिक्त समय बिताना पड़ता है।

    • पैरोल दो प्रकार के हो सकते हैं-
    • आपातकालीन पैरोलनियमित पैरोल

    फरलो

    फरलो का अर्थ है किसी बंदी को अच्छा आचरण बनाए रखने और जेल में अनुशासित रहने के लिए प्रेरणा के रूप में कुछ अर्हक वर्षों की कैद के अंतराल के बाद थोड़े समय के लिए रिहा करना। यह विशुद्ध रूप से जेल में अच्छे आचरण के लिए एक प्रोत्साहन है। इसलिए बंदी द्वारा जेल के बाहर फरलो पर बिताई गई अवधि को उसकी सजा में गिना जाएगा।

    आपातकालीन पैरोल

    जेल अधीक्षक द्वारा दोषी को निम्नलिखित घटनाओं की स्थिति में 24 घंटे की अवधि के लिए आपातकालीन पैरोल दी जा सकती है:

    • जेल अधीक्षक – बंदी के माता-पिता, पति या पत्नी, बेटे, बेटी, भाई या बहन की मृत्यु के मामले में, पुलिस हिरासत में 24 घंटे की अवधि (यात्रा अवधि को छोड़कर) के लिए बंदी की सजा को जेल के संबंधित अधीक्षक द्वारा निलंबित किया जा सकता है।
    • इसके अतिरिक्त, महानिरीक्षक (जेल) किसी बंदी की 15 दिनों की अवधि के लिए सजा निलंबित कर सकते हैं ताकि बंदी मृत्यु के बाद अनुष्ठान/संस्कार, तेरहवीं /श्राद्ध (वार्षिक श्राद्ध नहीं) में भाग ले सके।
    • ऐसे आशय के आवेदन/अनुरोध की प्राप्ति पर जेल अधीक्षक को संबंधित पुलिस स्टेशन से और अन्य माध्यमों से वास्तविक परिस्थितियों का तुरंत सत्यापन करना चाहिए और अनुरोध के संबंध में स्वयं का सामाधान करना चाहिए।
    • बंदी की हिरासत सुनिश्चित करते हुए उसे पुलिस सुरक्षा में यात्रा के स्थान तक जाने और वहाँ से लौटने की व्यवस्था की जाएगी। ऐसे बंदी को उक्त अवधि के लिए जेल में माना जाएगा और जेल में बिताई गई अवधि के रूप में ही इसकी गणना की जाएगी।
    • विचाराधीन बंदी नियमित पैरोल और फरलो के लिए पात्र नहीं हैं, और उन्हें केवल आपातकालीन पैरोल पर रिहा किया जा सकता है, वह भी संबंधित ट्रायल कोर्ट के आदेश से।

    नियमित पैरोल
    नियमित प्रकृति के पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों और जिम्मेदारियों के साथ-साथ बंदी के बाहरी दुनिया से संपर्क बनाए रखने की मनोवैज्ञानिक आवश्यकता और अन्य जरूरतों का ख्याल रखने हेतु ।

    नियमित पैरोल और फरलो पर बंदी की रिहाई पर प्रतिबंध

    निम्नलिखित श्रेणियों के बंदी पैरोल या फरलो पर रिहाई के लिए पात्र नहीं हो सकते हैं:

    जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक, तिमाही आधार पर अपने जिलों के ऐसे बंदियों की पहचान करेंगे जिनकी समाज में तत्काल उपस्थिति को सार्वजनिक शांति के लिए खतरनाक या अन्यथा प्रतिकूल माना जा सकता है और संबंधित रिपोर्ट आईजी जेल को भेजेंगे।

    • ऐसे बंदी जिन्हें खतरनाक माना गया है या जो जेल में गंभीर हिंसा जैसे हमले, दंगा फैलने, विद्रोह या भागने में शामिल रहे हैं, या जिन्हें उनके वार्षिक आचरण की रिपोर्ट के अनुसार जेल अनुशासन के गंभीर उल्लंघन हेतु बंदियों को उकसाते हुए पाया गया है।
    • डकैत-आतंकवादी अपराधों, फिरौती के लिए अपहरण, नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे जघन्य अपराधों के सिद्धदोष बंदी और जिला मजिस्ट्रेट/जिला पुलिस अधीक्षक की राय में, ऐसे बंदी जो पैरोल या फरलो अवधि पूरी होने के बाद जेल में वापस नहीं आ सकते हैं।
    •  सिद्धदोष विदेशी,
    • जघन्य अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए अंतर-राज्यीय अपराधी जिनका उपधारा- ‘ग’ में ऊपर उल्लेख किया गया है।
    • ऐसे बंदी जो शांति बनाए रखने या अच्छा व्यवहार करने में सदैव ही विफल रहे हों।
    • मानसिक बीमारी से पीड़ित बंदी, यदि चिकित्सा अधिकारी द्वारा उन्हें स्वस्थ प्रमाणित न किया हो।
    • जिन बंदियों का काम और आचरण पिछले 12 महीनों के दौरान अच्छा नहीं रहा है और जिनके रोल में न्यूनतम 03 प्रविष्टियां हैं।
    उपरोक्त के अनुसार, पैरोल के लिए पात्रता निम्नलिखित रूप से विनियमित की जानी चाहिए:
    सजा पहली बार
    पैरोल पर रिहाई के लिए पात्रता
    दूसरी बार
    रिहाई के लिए पात्रता
    इसके बाद की
    रिहाइयों के लिए पात्रता
    वार्षिक अवकाश
    पांच वर्ष से अधिक नहीं एक वर्ष की वास्तविक कैद पूरी करने के बाद – गिनती की जाएगी जिस दिन से जेल में अपराधी के रूप में प्रवेश हुआ। छह महीने की वास्तविक कैद पूरी करने के बाद – गिनती की जाएगी अंतिम छुट्टी से लौटने की तिथि से। छह महीने की वास्तविक कैद पूरी करने के बाद – गिनती की जाएगी अंतिम छुट्टी से लौटने की तिथि से। 21 दिन
    पांच वर्ष से अधिक लेकिन 14 वर्ष से अधिक नहीं दो वर्ष की वास्तविक कैद पूरी करने के बाद – गिनती की जाएगी जिस दिन से जेल में अपराधी के रूप में प्रवेश हुआ। एक वर्ष की वास्तविक कैद पूरी करने के बाद – गिनती की जाएगी अंतिम छुट्टी से लौटने की तिथि से। छह महीने की वास्तविक कैद पूरी करने के बाद – गिनती की जाएगी अंतिम छुट्टी से लौटने की तिथि से। पहले पांच वर्षों में 21 दिन और शेष अवधि के लिए 28 दिन।
    आजीवन कारावास या 14 वर्ष से अधिक की सजा प्राप्त कैदी तीन वर्ष की वास्तविक कैद पूरी करने के बाद – गिनती की जाएगी जिस दिन से जेल में अपराधी के रूप में प्रवेश हुआ। एक वर्ष की वास्तविक कैद पूरी करने के बाद – गिनती की जाएगी अंतिम छुट्टी से लौटने की तिथि से। छह महीने की वास्तविक कैद पूरी करने के बाद – गिनती की जाएगी अंतिम छुट्टी से लौटने की तिथि से। पहले पांच वर्षों में 21 दिन और शेष अवधि के लिए 28 दिन।

    पैरोल और फरलो के लिए पात्रता के उद्देश्य से सजा की गणना के लिए, ‘सजा’ का अर्थ ऐसी सजा होगी जो अंततः अपील, या संशोधन, या अन्यथा तय की गई है, और इसमें कुल एक या अधिक सजाएँ शामिल हैं।

    जेल में निर्धारित प्रपत्र में एक रजिस्टर रखा जाएगा जिसमें पैरोल और फरलो पर बंदियों की रिहाई से संबंधित सभी विवरण रखे जाएंगे। यह रिकॉर्ड उन कंप्यूटरों पर भी रखा जाएगा जहां रिकॉर्ड का कम्प्यूटरीकरण हुआ है। बंदी के इतिवृत्त पत्रक (इतिहास टिकट) में रिकॉर्ड को अपडेट करके बंदियों को उनकी पात्रता और पैरोल पर रिहाई के अधिकार के संबंध में नियमित आधार पर सूचित किया जाएगा।

    नियमित पैरोल की अवधि और आवृत्ति
    पात्र बंदियों को नियमित पैरोल एक बार में 30 दिनों से अधिक की अवधि के लिए और एक कैलेंडर वर्ष में दो बार से अधिक नहीं मिलना चाहिए। हालांकि असाधारण परिस्थितियों में आईजी जेल की मंजूरी से इस तरह के पैरोल को अधिकतम 45 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन किसी भी मामले में इस तरह के पैरोल को और आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए। यह स्पष्ट किया जाता है कि दोषसिद्ध बंदी तीन साल के ब्लॉक में केवल एक बार 45 दिनों के पैरोल की विस्तारित रिहाई का लाभ उठा सकता है

    फरलो की पात्रता और अवधि

    • एक बंदी जिसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है और वह दोषसिद्ध होने के बाद बेदाग रिकॉर्ड के साथ 05 साल की कैद काट चुका है, तो वह फरलो के लिए पात्र होगा ।
    • जैसा कि ऊपर वर्णित है, किसी बंदी को दोषसिद्धि के बाद एक वर्ष में दो बार में 04 सप्ताह की छुट्टी दी जा सकती है, जिसमें एक बार में अधिकतम 02 सप्ताह की छुट्टी दी जा सकती है।

     नियमित पैरोल या फरलो की मंजूरी देने के लिए सक्षम प्राधिकारी
    इस विषय पर कानून/अनुदेशों में यथा उल्लिखित, सिद्धदोषों को नियमित पैरोल या फरलो प्रदान करने के लिए आईजी जेल सक्षम प्राधिकारी होंगे। विचाराधीन बंदी नियमित पैरोल और फरलो के लिए पात्र नहीं हैं।

     प्रक्रिया

    पैरोल या फरलो का लाभ उठाने के इच्छुक बंदी को जेल अधीक्षक के समक्ष निर्धारित फर्म में अपना प्रपत्र प्रस्तुत करना होगा। अधीक्षक प्रत्येक मामले की सावधानीपूर्वक जाँच करेंगे और बंदी के आचरण, कार्य, परिवार और समुदाय के प्रति दृष्टिकोण के विशेष संदर्भ और पिछली छुट्टी, यदि कोई हो, के उपयोग के तरीके को ध्यान में रखते हुए छुट्टी के लिए पात्रता के संबंध में विचार करेंगे। इसके बाद वह आवेदन प्राप्त होने के 03 दिनों के भीतर संबंधित जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक को आवेदन अग्रेषित करेगा। पुलिस अधीक्षक जेल अधीक्षक के संदर्भ की प्राप्ति की तारीख से 14 दिनों के भीतर जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से आईजी जेल को अपनी रिपोर्ट भेजेगा। यदि किसी बंदी की छुट्टी पर प्रस्तावित रिहाई से पुलिस असहमत है, तो ऐसी असहमति के कारणों को निर्दिष्ट किया जायेगा।

    • आईजी जेल जिला मजिस्ट्रेट से सिफारिश प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर पैरोल/फरलो के आवेदन पर निर्णय लेंगे।
    • बंदी को उसके आवेदन पर सभी निर्णयों के बारे में सूचित किया जाएगा। यदि पैरोल या फरलो पर रिहाई के लिए उसका अनुरोध अस्वीकार कर दिया जाता है, तो उसे ऐसी अस्वीकृति के आधार के बारे में सूचित किया जाएगा।
    • पैरोल या फरलो पर किसी बंदी को रिहा किए जाने पर हर बार जिला अधिकारियों की राय ली जानी चाहिए।
    • जिन बंदियों का आचरण पैरोल या फरलो पर रिहाई के दौरान असंतोषजनक पाया जाता है, उन्हें संबंधित जेल अधीक्षक से प्राप्त रिपोर्ट/सिफारिश के आधार पर आईजी जेल द्वारा एक निर्दिष्ट अवधि के लिए इस रियायत से वंचित किया जा सकता है। हालांकि, प्रतिबंध लागू होने की तारीख से 6 महीने बाद प्रभावित बंदी के अभ्यावेदन पर आईजी जेल द्वारा रियायत दिए जाने के बारे में समीक्षा की जा सकती है।
    • बंदी को प्रतिबंध के आधार और उस अवधि के बारे में सूचित किया जाएगा जिसके लिए वह पैरोल/फरलो पर रिहाई के लिए पात्र नहीं होगा

    अपील
    यदि कोई बंदी जेल महानिरीक्षक द्वारा पैरोल/फरलो के अनुरोध पर लिए गए निर्णय से संतुष्ट नहीं है, तो वह राज्य सरकार से अपील कर सकता है और राज्य सरकार 15 दिनों के भीतर उसकी अपील पर निर्णय लेगी।

    पैरोल/फरलो की शर्तें
    पैरोल/फरलो को मंजूरी देने के लिए अधिकृत आईजी जेल निम्नलिखित शर्तों के अधीन किसी बंदी की रिहाई का आदेश दे सकते हैं:

    • कि बंदी सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्धारित राशि का नकद जमानत प्रस्तुत करेगा और एक व्यक्तिगत मुचलका बॉण्ड निष्पादित करेगा, या सक्षम प्राधिकारी के निर्देशों के अनुसार एक या अधिक जमानती के साथ बॉण्ड निष्पादित करेगा,
    • कि बंदी सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्दिष्ट स्थान पर निवास करेगा और निर्दिष्ट सीमाओं से परे नहीं जाएगा,
    • कि बंदी अच्छा व्यवहार रखेगा और रिहाई की अवधि के दौरान कोई अपराध नहीं करेगा,
    • कि बंदी रिहाई की अवधि के दौरान अपने प्रवास के क्षेत्र के निकटतम पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करेगा,
    • कि बंदी न तो बुरे चरित्र वाले व्यक्तियों के साथ जुड़ेगा और न ही एक व्याभिचारी जैसा जीवन व्यतीत करेगा।
    • कि बंदी को तुरंत जेल में वापस बुलाया जाएगा यदि वह किसी भी शर्त का उल्लंघन करता है,
    • कि बंदी रिहाई की यथास्वीकृत अवधि समाप्त होने पर या वापस बुलाए जाने पर जेल के अधीक्षक के सामने आत्मसमर्पण कर देगा।

     पैरोल/फरलो पर रिहाई
    महानिरीक्षक कारागार से आदेश प्राप्त होने पर, बंदी द्वारा आवश्यक बांड निष्पादित करने और रिहाई की शर्तों पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद उसे पैरोल /फरलो पर रिहा किया जायेगा, रिहाई के समय बंदी को एक पहचान पत्र और पैरोल/फरलो पर रिहाई का प्रमाण पत्र प्रदान किया जाना चाहिए।

    पैरोल/फरलो की शर्तों के उल्लंघन के लिए सजा प्रक्रिया

    • बंदी पैरोल/फरलो की अवधि के भीतर जिला प्रशासन की सतर्क निगरानी में रहेगा। जेल अधीक्षक पैरोल/फरलो की अवधि समाप्त होने के बाद जेल से बंदियों के ओवर स्टे और अनधिकृत अनुपस्थिति के बारे में संबंधित जिले के जिला मजिस्ट्रेट और आईजी जेल को सूचित करेंगे और संबंधित जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक से उक्त बंदियों की गिरफ्तारी कराने का अनुरोध करेंगे।
    • कोई भी बंदी जिसकी सजा एक निर्दिष्ट अवधि के लिए निलंबित कर दी गई है-
    • यदि वह नियत समय से देरी के बाद 03 दिनों के भीतर जेल में आत्मसमर्पण करता है, तो इसे अनिवार्यतः जेल रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा।
    • यदि वह फिर से 03 दिनों तक की देरी करता है तो अगले 02 वर्षों तक उसके लिए पैरोल/फरलो स्वीकार नहीं किया जाएगा।
    • यदि वह 03 दिनों की देरी के बाद जेल में आत्मसमर्पण करता है या गिरफ्तार किया जाता है, तो अगले 02 वर्षों तक उसका पैरोल/फरलो स्वीकार नहीं किया जाएगा।

    अधिकारी जिन्हें सूचित किया जाएगा
    पैरोल/फरलो पर बंदी की रिहाई की सूचना निम्नलिखित प्राधिकारियों को दी जानी चाहिए:

    • जिस जिले में बंदी पैरोल/फरलो की अवधि बिताने का प्रस्ताव करता है, उस जिले के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक,
    • बंदी के गृह जिले के जिला मजिस्ट्रेट और जिला पुलिस अधीक्षक,

    जमानतदार
    बंदियों की रिहाई के लिए जमानत निम्नलिखित तरीकों में किसी एक से प्राप्त किया जाना चाहिए:

    • एक व्यक्तिगत बांड निष्पादित करवाना,
    • बंदियों द्वारा अर्जित मजदूरी को नकद जमानत के रूप में लिया जा सकता है,
    • बंदी के गृह ग्राम की पंचायत उसके लिए जमानतदार हो सकती है,
    • बंदियों के परिवार के सदस्य/ रिश्तेदार/दोस्त, यदि अच्छे पृष्ठभूमि के हैं, तो उनके लिए जमानतदार हो सकते हैं.

     यात्रा खर्च
    बंदी जेल से पैरोल/फरलो पर रिहा होने के बाद अपने ठहरने के स्थान तक आने-जाने वाले खर्चों सहित सभी खर्चों को स्वयं पूरा करेगा।