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    प्रस्तावना

    कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा विभाग, उत्तराखण्ड में आपका स्वागत है।

    आपराधिक न्यायिक प्रणाली के पाँच महत्वपूर्ण अंग हैं-

    कानून प्रवर्तन:

    • यह स्तंभ व्यवस्था बनाए रखने, अपराध को रोकने और आपराधिक गतिविधियों की जांच करने के लिए जिम्मेदार है

    न्यायालय:

    • न्यायालय कानूनों की व्याख्या करने, निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने तथा दोष या निर्दोषता का निर्धारण करने के लिए जिम्मेदार हैं।

    अभियोजन पक्ष:

    • अभियोजन पक्ष आपराधिक मामलों में राज्य का प्रतिनिधित्व करता है तथा प्रतिवादी के अपराध को साबित करने के लिए अदालत में साक्ष्य प्रस्तुत करता है।

    कारागार:

    • इस स्तंभ में कारागार, कारागार और अन्य संस्थान शामिल हैं, जहां अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्तियों को रखा जाता है, जिनका लक्ष्य पुनर्वास और समाज में पुनः एकीकरण है।

    फोरेंसिक:

    • इस स्तंभ में जांच और अदालती कार्यवाही में सहायता के लिए साक्ष्य का वैज्ञानिक विश्लेषण शामिल है।

    पुलिस और न्यायपालिका की तरह ही कारागार व्यवस्था भी हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण और उपयोगी अंग है। समाज में कानून का राज स्थापित करने और शांति एवं व्यवस्था बनाए रखने में कारागारों की महत्वपूर्ण और उपयोगी भूमिका होती है। समाज में विकास और परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कारागारों का भौतिक और व्यावहारिक स्वरूप, साथ ही उनके उद्देश्य और उनसे अपेक्षाएँ भी बदलती रही हैं।

    पुलिस और न्यायपालिका की तरह ही कारागार व्यवस्था भी आपराधिक न्याय प्रणाली का एक उपयोगी और महत्वपूर्ण अंग है। शांति और कानून का राज स्थापित करने में मदद करके समाज में संतुलन बनाए रखने में कारागार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सभ्यता के विकास और सामाजिक परिवर्तन के परिणामस्वरूप कारागारों की भौतिक और कार्यात्मक प्रकृति, अपेक्षाएँ और उद्देश्य भी विकसित हो रहे हैं। कारागार व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य कैदियों की सुरक्षित हिरासत सुनिश्चित करना, उनके पुनर्वास और समाज की मुख्यधारा में एकीकरण में मदद करना और उन्हें नैतिक शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करके यह सुनिश्चित करना है कि वे रिहाई के बाद अपराध की ओर न मुड़ें, ताकि उनके मन में अपराध की भावना और अपराध की मानसिकता को कम किया जा सके।

    इस प्रकार, जहां एक ओर बंदियों की सुरक्षित निरूद्धि हेतु सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ किया जा रहा है तथा संचार व्यवस्थाओं को विकसित किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर बंदियों के सुधार एवं पुनर्वास हेतु अनेक बहुआयामी एवं प्रगतिशील कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। सरकार की वर्तमान कल्याणकारी नीति के अन्तर्गत बंदियों के व्यापक स्वास्थ्य परीक्षण एवं उपचार, स्वच्छता, स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति, व्यवहारिक कार्यों का प्रशिक्षण, शिक्षा, महिला बंदियों के लिए विशेष व्यवस्था तथा उनके छः वर्ष से कम आयु के बच्चों के जीवन स्तर में सुधार हेतु सक्रिय कदम उठाये जा रहे हैं। विभाग की गतिविधियों में बंदियों के सुधार को उजागर करने के उद्देश्य से शासन स्तर पर इसका नाम गृह (कारागार) से परिवर्तित कर ‘कारागार प्रशासन एवं सुधार’ तथा विभागीय स्तर पर कारागार विभाग से परिवर्तित कर ‘कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं’ कर दिया गया है।

    कारागार विभाग के उद्देश्य:-

    • कारागारों में बन्दियों का सरुक्षित रखरखाव।
    • बन्दी सुधार, शिक्षा, व्यवसायिक प्रशिक्षण एवं पुर्नवास।
    • बन्दियों के मानवाधिकारों की सुरक्षा।
    • बन्दियों के खान-पान एवं रहन-सहन में सुधार।
    • बन्दियों की चिकित्सा व्यवस्था एवं स्थास्थ्य व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण।
    • लम्बित वादों के त्वरित निस्तारण हेतु लोक अदालतों का आयोजन।
    • बन्दियों को निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराना।
    • चिकित्सा व्यवस्था में सुधार।
    • बन्दियों के खान-पान की व्यवस्था में सुधार हेतु पाकशाला का आधुनिकीकरण।
    • बन्दियों को साक्षर करने हेतु साक्षरता अभियान।
    • बन्दियों के व्यवसायिक प्रशिक्षण एवं देय पारश्रमिक की दरों में वृद्धि।
    • बन्दियों की उनके परिजनों से मुलाकात हेतु आधुनिक एवं सुरक्षित मुलाकात घरों का निर्माण।
    • बन्दियों की सुरक्षा एवं संचार व्यवस्था का सुदृढीकरण।
    • कारागार सुरक्षा व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण।
    • बन्दियों के लिए कम्प्यूटर प्रशिक्षण।